दोस्तों अगर आपसे पूछा जाए की चाय पीने की फ़ायदे होते है या नुक़सान तो आख़िर आपका जवाब क्या होगा? शायद इस बारे में आप सभी के अलग अलग जवाब हो सकते है। लेकिन एक बात तो तय है, की चाय पीने के फ़ायदे भी होते है और नुक़सान भी। जो की किसी भी व्यक्ति के चाय पीने के तरीक़े, चाय को बनाते वक़्त की गई ग़लतियों पर depend करता है।
अगर चाय बनाने और चाय पीने ये दोनों ही तरीक़े सही होते है तो चाय शरीर को फ़ायदा पोहचती है। और अगर इसमें कोई गलती होती है तो चाय पीने के काफ़ी सारे नुक़सान भी हो सकते है। इसलिए किसी भी व्यक्ति के लिए इस बात का जानना ज़रूरी है की जिस चाय का हर घर में पूरे दिन में कई बार इस्तेमाल किया जाता है, आख़िर उसका हमारी सेहत पर क्या नुक़सान और क्या फ़ायदा पोहोचता है।
दोस्तों वैसे तो दुनिया भर में कई तरीक़े की चाय का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन हमारे देश India में जिस चाय का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है वो है Black tea या फिर दूध वाली चाय। इसलिए याहा पर ये सवाल उठता है कि अगर चाय पीते भी है तो –
- काली चाय और दूध वाली चाय में कौनसी चाय पीना चाहिए?
- चाय पीने के क्या फ़ायदे और क्या नुक़सान हो सकते है?
- चाय कब पीना चाहिए कब नहीं पीना चाहिए ?
- एक दिन में कितनी cup चाय पीना सही है?
- चाय के नुक़सान से बचने के लिए चाय बनाने का सही तरीक़ा क्या होना चाहिए ?
- और क्या ज़्यादा चाय के इस्तेमाल से कोई नुक़सान भी हो सकता है?
आइये जानते है इन सभी सवालो के जवाब-:
✅ सबसे पहले बात करते है कि आख़िर चाय पीने के क्या फ़ायदे और क्या नुक़सान हो सकते है ?
दोस्तों चाय के फ़ायदे या नुक़सान को ठीक से समझने के लिए पहले हमे चाय बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ों के बारे में समझना होगा। वैसे तो चाय बनाने में चीनी और दूध का इस्तेमाल किया जाता है और सबसे मैं इसमें चाय पट्टी होती है। इसलिए हमारे लिए सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है की आख़िर चाय पट्टी में शरीर को फ़ायदा और नुक़सान पहचाने वाली कौन कौन सी चीज़ मोजूद होती है।
दोस्तों चाय पत्ती में मोजूद जो चीज़ शरीर को फ़ायदा पोहचती है वो है इसमें पाया जाने वाला Poluphenol(antioxidant), Flavonod(antioxidant) और दूसरे antioxidant जिससे की चाय का सही मात्र में और सही समय पर इस्तेमाल करने से ये शरीर में बुरे colestrol की मात्रा को कम करता है, aging process को slow down करता है, और immunity power को बढ़ाने के साथ साथ ये शरीर को कई तरह के cancer cells को protect करने में भी काफ़ी हद तक मदत करता है।
साथ ही चाय में L -theanine नाम का amino acid मोजूद होता है जो की brain को relax करके focus करने की क्षमता को कुछ देर के लिए improve कर देता है। और ख़ास कर जिन लोगो को सर्दी जुकाम या फिर गले में ख़राश जैसी problem होती है, उन्हें चाय में तुलसी और अदरक जैसी चीज़ों को डालकर देने से उनकी हालत में काफ़ी हद तक सुधार आता है।
लेकिन यह इस बात का भी ख़याल रखना ज़रूरी है की जो लोग अक्सर चाय पीते है उन्हें इस बात का बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं होता कि दिन भर में कितना चाय पीना चाहिए, और इसे पीने का सही समय क्या होना चाहिए। और यही वजह है। की चाय का ग़लत मात्रा में और ग़लत समय पर इस्तेमाल करने से ये शरीर को धीरे धीरे भारी नुक़सान भी पोहचाता है। और ऐसा इसलिए क्यों की चाय के अंदर जो शरीर को नुक़सान पहचाने वाली चीज़ होती है वो है इसमें पाया जाने वाला Tannin और Caffeine
चाय में मोजूद Tannin शरीर में iron को absorb होने से रोकता है और जिसकी वजह से चाय का ज़्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से शरीर में धीरे धीरे iron की कमी होने लगती है। इसी वजह से काफ़ी लोगो के शरीर में iron deficency हो जाती है। साथ ही चाय पीने में की गई ग़लतियों कि वजह से – अपचन acidity और क़ब्ज़ जैसी problem झेलनी पड़ सकती है।
इसके अलावा चाय में जो caffeine नाम का प्रदार्थ होता है उसका हमारे शरीर पर कई तरह से बुरा असर पढ़ता है। के की सबसे पहली बात तो ये की caffeine एक slow addictive drug की तरह काम करता है। जिसका असर सीधा दिमाग़ पर होता है। और इसलिए ज़्यादा चाय पीने वाले लोगो को धीरे धीरे इसकी लत्त लगने लगती है। और यही वजह है कि जब एक बार किसी भी व्यक्ति को चाय पीने की आदत हो जाए तो उन्हें वक़्त पर चाय ना मिलने से सर दर्द, बेचैनी और चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है। और इतना ही नहीं चाय का ज़्यादा मात्र में इस्तेमाल करने से उसमे मोजूद caffeine की वजह से stress, anxiety, सीने में जलन, दिल की धड़कनों का तेज़ होना, रात को जल्दी नींद ना आने की समस्या होने लगती है। लेकिन ऐसा सिर्फ़ तभी होता है, जब कोई व्यक्ति ज़्यादा मात्रा में या फिर ग़लत समय पर चाय का सेवन करता है। इसलिए अब बात आती है की अगर हम चाय पीने भी है तो उसके नुक़सान से बचने के लिए कौन कौनसा तरीक़ा अपनाना चाहिए।
✅ दोस्तों चाय के नुक़सान से बचने के लिए 3 बातो का ख़याल रखना बहुत ज़रूरी होता है।
पहला है – चाय बनाने का सही तरीक़ा
दूसरा है – चाय पीने का सही समय (यानी कब पीने चाहिए और कब नहीं पीने चाहिए)
तीसरा है – चाय की सही मात्रा (यानी दिनभर में कितनी चाय पीना सही है)
दोस्तों चाय बनाने का सही तरीक़ा पता होना इसलिए ज़रीरी है के की जब चाय बनाने में ही गलती होती है तो चाय पीने का तरीक़ा सही होने के बावजूद भी उसका शरीर को सिर्फ़ नुक़सान ही पोहोचता है। और चाय बनाने में जो हमारी यह सबसे पहली गलती की जाती है वो है चाय को बहुत ज़्यादा देर तक पकाना। चाय को जितनी ज़्यादा देर तक पकाया जाता है, उसमे फ़ायदा पोहोचाने वाली चीज़ उतनी कुम होती जाती है, और शरीर को नुक़सान पोहोचाने वाले toxincs उतने ही ज़्यादा बढ़ते जाते है। इसलिए बेहतर है कि चाय को low temprature पर कम से कम समय के लिए उबालना चाहिए।
और उससे भी अच्छा तरीक़ा ये है की सबसे पहले सिर्फ़ पानी को अच्छी तरह गरम कर्ले और उसके बाद उसमे चाय पत्ती और बाक़ी सभी चीज़ डालकर इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही एक बात का ख़याल और रखें की बाहर की चाय से जहां तक हो सके परहेज़ ही करना चाहिए, क्यों की बाहर बनाई जाने वाली चाय में अक्सर ही एक ही पत्ती को बार बार इस्तेमाल किया जाता है जिससे की चाय में ज़हरीले प्रदार्थ की मात्रा बढ़ती है जो की शरीर को और भी कई गुना ज़्यादा नुक़सान पोहोचाता है। लेकिन अगर आप दुकान वाले को बोलकर नई पत्ति से चाय बनवाते है तो ऐसी चाय का बाहर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
दूसरी बात ये है कि हमने अब तक जो भी चाय के फ़ायदे के बारे में जाना है वो फ़ायदे बिना छीने वाली चाय के बारे में थे। क्यों की चाय में चीनी मिलाने से चाय के फ़ायदे कम हो जाते है और उसके नुक़सान भी कई गुना बढ़ जाते है। क्यों की चाय में चीनी की मात्रा जितनी ज़्यादा होती है। वो शरीर को भी उतना ही ज़्यादा नुक़सान पोहोचाती है। क्यों की चीनी में artificial chameicals मिलने जाते है। इसलिए जिसकी वजह से चीनी से blood sugar increase होता है, और शरीर में चर्बी बढ़ाने के साथ साथ चहेरे और शरीर पर acne, pimples भी पेदा होने की problem हो सकती है।
साथ ही चीनी भी caffeine की तरह addictive होने की वजह से ये चाय की आदत को और भी कई गुना ज़्यादा बढ़ा देता है। अगर आपको चाय में चीनी का इस्तेमाल करना ही है तो जहां तक हो सके कम से कम चीनी का ही इस्तेमाल करे। और इससे भी बेहतर ये है की चीनी की जगह धागे वाली मिश्री, या फिर गुड का इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन इसका भी आपको एक लिमिट में ही इस्तेमाल करना है।
Also Read -> शरीर की गर्मी कैसे निकाले | Body Heat Treatment In Hindi
✅ अब सवाल आता है कि काली चाय और दूध वाली चाय में से बेहतर चाय कौनसी होती है?
दोस्तों काली चाय के बारे में हम पहले ही बात कर चुके है, लेकिन जब काली चाय में दूध मिलाया जाता है तो दूध में मोजूद casein नाम का protein चाय में मोजूद antioxident से binding करके उसे काफ़ी हद तक नष्ट कर देता है जिससे की चाय से मिलने वाले फ़ायदे या तो ख़त्म हो जाते है या फिर बहुत ही कम हो जाते है। साथ ही जिन लोगो के acne, pimples की प्रॉब्लम होती है। उनके लिए भी चाय में दूध और चीनी डालकर इस्तेमाल करना बिलकुल भी suitable नहीं होता। इसलिए दूध वाली चाय के मिकाबले काली चाय पीना ज़्यादा बेहतर option हो सकता है।
✅ अब बात आती है चाय कब पीनी चाहिए?
दोस्तों चाय कब पीना चाहिए इससे ज़्यादा ये जानना ज़रूरी है कि चाय कब नहीं पीनी चाहिए। और इसलिए पहले हम ये जानेंगे कि चाय कब नहीं पीनी चाहिए, और उसके बाद हम फिर बात करेंगे की चाय कब पीनी चाहिए।
दोस्तों चाय का इस्तेमाल दिन की शुरुवात और दिन के आख़िर में बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए। क्यों की चाय पीने का सबसे ग़लत समय सुबह ख़ाली पेट और रात को सोने से पहले का वक़्त होता है। और ऐसा इसलिए क्यों की चाय शरीर को ज़्यादा नुक़सान पोहोचाती है। सुबह ख़ाली पेट चाय का इस्तेमाल करने से ये gas acidity और पाचन में गड़बड़ी पैदा करने लगती है। साथ ही सुबह में पेट पूरी तरह से ख़ाली होने की वजह से ये शरीर में बहुत ही तेज़ी से absourb होती है। जिससे की चाय से होने वाले नुक़सान भी कई गुना बढ़ जाते है।
और रात को चाय का इस्तेमाल करने से ये हमारे brain में sleeping hormone को release होने से रोकता है, जिससे की समय के साथ साथ जल्दी नींद ना आने की समससिया शुरू होने लगती है। इसलिए ये नहीं भूले की रात होती ही है शरीर को आराम देने के लिए। और अगर सिर्फ़ अपना काम पूरा करने के लिए आप चाय पी पीकर ज़बरदस्ती खुदको को जगाते है तो आगे चलकर आपको काफ़ी health issues का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बेहतर यही है की रात को जल्दी सोए और सुबह फिर जल्दी उठकर अपने काम को पूरा करे, लेकिन कभी भी खुदको जगाने के लिए चाय का सहारा बिलकुल भी नहीं लेना चाहिए।
✅ आइये अब जानते है की चाय पीने का सही समय क्या होना चाहिय ?
दोस्तों अगर आप चाय पीते है तो इसका सुबह ख़ाली पेट इस्तेमाल ना करके नाश्ते या फिर खाने के आधे से 1 घंटे बाद इस्तेमाल करना चाहिए। क्यों की ऐसा करने से ये शरीर में धीरे absourb होता है और फिर इससे होने वाले नुक़सान भी काफ़ी हद तक कम हो जाते है।
✅ अब बात करते है कि एक दिन में ज़्यादा से ज़्यादा कितनी चाय पी सकते है?
दोस्तों चाय का कभी कभी इस्तेमाल करने में कोई proeblem नहीं है क्यू की अगर आप हफ़्तों चाय का इस्तेमाल नहीं करते और फिर किसी दिन एक कप या फिर किसी वजह से 2 कप चाय का भी इस्तेमाल करते है तो ऐसा करने में कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है क्यू की ऐसा करने से चाय slow addicitve होने की वजह से कभी कभी इस्तेमाल करने से इसकी जल्दी आदत नहीं होती, और इसका शरीर को कुछ ख़ास नुक़सान भी नहीं होता। लेकिन प्रॉब्लम तब होती है जब कोई इंसान चाय को अपने daily routine में शामिल कर लेता है। और फिर पूरी तरह चाय पर ही depend हो जाते है। तो ऐसे में चाय पीने की आदत भी बढ़ती जाती है और जब कोई जितना ज़्यादा चाय का सेवन करता है वो उतना ही ज़्यादा चाय की बुरी आदतों में गिरफ़्तार हो जाता है। और फिर बात यहाँ तक पोहोच जाती है की चाहे जान जाए मगर चाय हाथ से ना जाए। इसलिए जिन लोगो को अब तक चाय की आदत नहीं है वो कभी कभी चाय का तो इस्तेमाल कर सकते है लेकिन आपको इसे अपनी आदतों में बिलकुल भी शामिल नहीं करनी चाहिए। और जो लोग पहले से ही बहुत ज़्यादा चाय पीने की आदत का शिकार है उन्हें सबसे पहले चाय की मात्रा को आधा कर देना चाहिए जिसका मतलब है कि अगर आप 4 कप चाय पीते है तो 2 कप करदे अगर 2 कप पीते है तो एक कप करदे , और साथ ही बीच बीच में कभी कभी 1-2 दिन बिना चाय पिये भी गुज़रे ताकि चाय की आदत पर कंट्रोल किया जा सके। लेकिन ऐसा ज़रूरी नहीं कि आपको हमेशा के लिए चाय पीना बंद कर देना है। लेकिन आपको इसकी quantity को कम ज़रूर करना चाहिए। क्यू की चाय ऐसी चीज़ है जिसका जितना कम इस्तेमाल किया जाए उतनी ही अच्छी बात है।